Bumrah से अब ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ भी गेंदबाज़ी सीखेंगे!




इस डायलॉग का क्या मतलब है ये बताने की ज़रूरत नहीं है। जस्सी जैसा कोई नहीं। यानी जसप्रित बुमराह जैसा कोई नहीं। 150 रन बनाने के बावजूद टीम इंडिया ने जिस तरह शानदार तरीक़े से पर्थ टेस्ट में वापसी की उसका श्रेय जसप्रित बुमराह को जाता है। पहले दिन का खेल ख़त्म हों पर ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 7 विकेट पर 67 रन था जिसमें चार विकेट बुमराह ने लिये और सिर्फ़ 4 रन दिये। दूसरे दिन का खेल शुरू होने पर अपनी पहली ही गेंद पर बुमराह ने विकेटकेपर अलेक्स करे को चलता किया। और इस तरह उन्होंने एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया की धरती पर पाँच विकेट निकाले। मज़े की बात ये है कि आप आस्ट्रेलिया के बड़े से बड़े गेंदबाज़ के आँकड़े निकाल लीजिए। अपनी ही धरती में वो बेमिसाल ज़रूर रहे हैं पर बुमराह के आगे फीके पड़ते हैं। बुमराह का ऑस्ट्रेलिया में औसत 19। 36 का है। 

 
19.36 - 𝗝𝗮𝘀𝗽𝗿𝗶𝘁 𝗕𝘂𝗺𝗿𝗮𝗵 
19.87 - Pat Cummins 
22.43 - Glenn McGrath 
22.67 - Josh Hazlewood 
24.68 - Jason Gillespie 
25.47 - Mitchell Johnson 
26.10 - Mitchell Starc 
28.72 - Brett Lee 
 
 
जसप्रित बुमराह के 41 टेस्टों में इस तरह 176 विकेट हो गये हैं। 20 का औसत, इकॉनमी भी दो रनों से थोड़ी ही ज़्यादा। यानी अपने हर ओवर में बुमराह 3 से कम रन देते हैं। मतलब मारक भी हैं और किफ़ायती भी। अब तक ग्यारह बार एक ही पारी में पाँच या उससे ज़्यादा विकेट ले चुके हैं। बुमराह में ऐसी क्या ख़ास बात है जो उन्हें इतना सफल बनाती है? पहले भी ऐसे गेंदबाज़ हुए है जो उनसे ज़्यादा तेज़ गेंदबाज़ी कर चुके हैं। ऐसे गेंदबाज़ जो स्विंग और सीम दोनों करवा लेते हैं। 
ऐसे भी गेंदबाज़ हुए हैं जिनका बोलिंग एक्शन अजीब सा होता है। पर बुमराह की दो ऐसी ख़ासियत हैं जो शायद किसी में नहीं हैं। एक तो बुमराह गेंद फेंकने से पहले एक तरह से अपने बायें पैर पर ही खड़े रह जाते हैं। जैसे जवेलिन थ्रो में एथलिट आगे का पैर जमा कर भाला फेंकता है बुमराह का एक्शन भी कुछ ऐसा ही है। इससे उनके हाथ से गेंद काफ़ी देर से निकलती है। उतना ही समय बल्लेबाज़ों को कम मिलता है अपने को तैयार कर पाने का। फिर उनकी विशेषता ये भी है कि वो एक एंगल से गेंद फेंकते हैं जिससे बल्लेबाज़ों को लगता है कि गेंद अंदर आएगी पर कई बार गेंद सीधी रह जाती हैं और उनके बल्ले का किनारा लेकर स्लिप में चली जाती है। बुमराह में हर तरह की ख़ासियत है। स्विंग और सीम तो है ही, उनका यॉर्कर भी सटीक है और बाउंसर भी बल्लेबाज़ों को हटने का मौक़ा नहीं देता। इन सबसे बढ़ कर बुमराह में लोमड़ी जैसी चालाकी है। वो एक तरह से बल्लेबाज़ों के दिमाग़ से खेलते हैं। उनकी हर गेंद आप को साँस लेने का मौक़ा नहीं देती। आज सोशल मीडिया पर क्रिकेट फैन्स कह रहे है कि बुमराह जैसा गेंदबाज़ ना पहले हुआ और ना होगा। चाहे आप उन्हें टेस्ट मैच खिला लो, या ODI और या T२० क्रिकेट। हर फॉर्मेट में बुमराह बेमिसाल हैं। एक दो ऐसी सोशल मीडिया पोस्ट हम आपको दिखाते हैं जिसे देख कर आपको मज़ा आएगा। ये है एक शेर और एक कुत्ते की फोटो। कैप्शन हैं कि जब बुमराह टीम में होती है तो टीम शेर हो जाती है और उनके बग़ैर उसकी स्तिथि कुत्ती जैसी हो जाती है। एक और सोशल मीडिया पोस्ट ये कहती है कि बुमराह का एक ही काम है। उठो। खाओ। देश का नाम रोशन करो। और सो जाओ। मज़े की बात ये है कि माना जा रहा था कि कप्तानी के दबाव में बुमराह बिखर सकते हैं। पर बुमराह बिखरे नहीं बल्कि उनमें और निखार आया। 
और ऐसा इसलिए क्योंकि हीरा हीरा होता है। आप चाहे उसे धूप में रखो या अंधेरे में। उसकी चमक आपको चकाचौंध कर देती है।